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चीन की सीमा से सटे उत्तराखंड के गांवों से चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है। उत्तराखंड के ग्रामीण विकास और पलायन रोकथाम आयोग की रिपोर्ट के अनुसार उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों में भारत- चीन सीमा के पास 11 गांव “पूरी तरह से खाली हैं और वहां कोई निवासी नहीं है।
आयोग ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक रिपोर्ट सौंपी जिसमें ये जानकारी दी गई है। यह रिपोर्ट पिछले साल 137 सीमावर्ती गांवों के जमीनी सर्वेक्षण के बाद तैयार की गई है। इसमें सामने आया कि 11 गांवों में कोई निवासी नहीं है। ये गांव चीन की सीमा से सटे हैं इसलिए सामरिक रूप से भी ये चिंता वाली बात है।
उत्तराखंड के ग्रामीण विकास और पलायन रोकथाम आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी के हवाले से बताया है कि आयोग की चार टीमों ने गांवों का जमीनी सर्वेक्षण किया था। पूरी तरह से खाली पाए गए 11 गांवों में से छह गांव, गुमकाना, लुम, खिमलिंग, सगरी धकड़ौना, सुमातु और पोटिंग, पिथौरागढ़ जिले में हैं। तीन गांव रेवाल चक कुरकुटी, फागती और लामटोल चमोली जिले में हैं। दो गांव नेलांग और जादुंग उत्तरकाशी जिले में हैं।
एसएस नेगी ने व्यक्तिगत रूप से उत्तरकाशी के दो गांवों का दौरा किया। ये गांव 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से खाली हैं। उन्हें एहतियात के तौर पर सेना ने खाली कर दिया था। आज वहां सेना और आईटीबीपी की चौकियां हैं, लेकिन कोई निवासी नहीं है।
आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सरकार को उन्हें फिर से आबाद करने के लिए कई सुझाव शामिल हैं। आयोग ने उत्तराखंड सरकार को सुझाव दिया है कि पहुंच मानदंडों में ढील देकर उन क्षेत्रों में सीमा पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही सीमावर्ती गांवों में मनरेगा कार्यक्रम के तहत 100 दिनों के बजाय 200 दिनों का रोजगार प्रदान करने की सलाह दी गई है। आयोग ने सरकार को निकट स्थित स्थानों को विकसित करने का भी सुझाव दिया है।
बता दें कि केंद्र द्वारा 51 सीमावर्ती गांवों को एक क्लस्टर मानकर ‘वाइब्रेंट विलेज’ के रूप में चिन्हित किया गया है। ‘वाइब्रेंट विलेज’ केंद्र सरकार की एक अहम पहल है जिसमें चीन सीमा से सटे गांवों को विकसित करना और वहां बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है।